NCRET,CBSE, RBSE, Control and coordination Part 2

मानव मस्तिष्क Human Brain 

समस्त प्राणी जगत में मानव का तंत्रिका तंत्र सबसे अधिक विकसित हैं जिसे व्यवस्थित रूप से कार्य करवाने के लिए केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की आवश्यकता होती हैं और यह तंत्रिका तंत्र मानव मस्तिष्क और मेरुरज्जु से मिलकर बनता हैं तथा मस्तिष्क मुख्य समन्वयक का कार्य करता हैं
संरचना एवं भाग

मानव मस्तिष्क के तीन भाग होते हैं :-
अग्र मस्तिष्क यह मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग हैं जिसे दो भागों में विभाजित किया जा सकता हैं :
यह सभी जंतुओं की तुलना में सर्वाधिक विकसित व मस्तिष्क का 80% भाग से मिलकर बनना होता हैं प्रमस्तिष्क पर संवलन पाई जाती हैं जो मस्तिष्क के क्षेत्रफल को बढाती हैं | इन संवलनों के कारण ही मनुष्य अन्य जीवों से बुद्धिमान होता हैं | 

b.)डाएन सिफेलॉन Diencephalon



यह अग्र मस्तिष्क का पिछला भाग होता हैं जो प्रमस्तिष्क व मध्यमस्तिष्क को जोड़ने का कार्य करता हैं 

अग्रमस्तिष्क के कार्य बुद्धिमता, याददाश्त, चेतना, अनुभव, वाणी, तर्कशक्ति होम्योस्टेसिस, भूख प्यास, क्रोध, प्रसन्नता आदि क्रियाओं पर नियंत्रण रखता हैं |
मध्य मस्तिष्क यह डाएनसिफेलॉन के पीछे तथा प्रमस्तिष्क के नीचे स्थित होता हैं यह पेशीय गतियों के समन्वय का कार्य करता हैं | दृष्टि तथा श्रवण केंद्र इसी में पाए जाते हैं |
पश्य मस्तिष्क
पश्य मस्तिष्क के तीन भाग होते हैं :-
यह प्रमस्तिष्क से ढका तथा छोटा होता हैं इसका मुख्य कार्य शरीर का संतुलन बनना तथा पेशियों की गति पर नियंत्रण करना होता हैं
जैसे सीधी रेखा में चलना, साईकिल चलना आदि |
यह मस्तिष्क के अन्य भागों को एक दुसरे से जोड़ने का कार्य करती हैं

इसके अलावा इसके मुख्य कार्य भोजन चबाने, लार स्त्रवन अश्रु स्त्रवन नेत्रों की गतिशीलता व श्वसन केंद्र से सम्बंधित कार्य सम्पन्न होते हैं |
यह मस्तिष्क का सबसे अन्तिम और निचला भाग होता हैं | यह सभी अनैच्छिक क्रियाओं पर नियंत्रण करता हैं |

जैसे श्वसन, लार, वमन, पाचन, हृदय धड़कन, छिकना खाँसना निगलना आदि |

                    

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